स्मार्ट क्लास का स्वरूप
#अर्थ व अवधारणा :-
अंग्रेजी शब्द SMART CLASS का हिंदी रूपांतरण 'आधुनिक कक्षा' होता है।जहाँ आधुनिक से तात्पर्य 'तकनीकी सुविधा' से है। तकनीकी सुविधा से आशय क्लास में स्मार्ट टीवी, कंप्यूटर, वाईफाई और प्रोजेक्टर का उपलब्ध होना है। इसके माध्यम से पठन-पाठन की जाती है ।इसलिए स्मार्ट क्लास को डिजिटल क्लास भी कहा जाता है। लेकिन जिस स्कूल में तकनीकी सुविधाओं का अभाव होता है, टूटा ब्लैक बोर्ड,टूटी -मैली बेंच, धूल जमी कुर्सियां होती है, उसे पारंपरिक या ट्रेडिशनल क्लास कहा जाता है ।जबकि स्मार्ट क्लास में सब कुछ चमचमाते नजर आता हैं।स्मार्ट क्लास तकनीक सहित सभी सुविधाओं से भरपूर होता है। इतना ही नहीं व्यक्तित्त्व विकास का पूरा इंतजाम होता है ।जहां विद्यार्थी बोर नहीं होता है और तेजी से सीखता है ।आधुनिक तकनीक से रूबरू होता है। स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर पर फ़िल्म स्लाइडर के माध्यम से विद्यार्थियों की हर जिज्ञासा का त्वरित समाधान होता है। प्रश्न कितना भी कठिन क्यों ना हों ,उसका निराकरण चंद मिनटों में संभव दिखता हैं ।
विद्यार्थी कंप्यूटर में ई -लर्निंग और डिजिटल बुक से पढ़ाई कर स्मार्ट अनुभव प्राप्त करता है। विद्यार्थी विषय -वस्तु से संबंधित अवधारणा को वीडियो, फोटो और स्केच के जरिए रोचक और आसानी से समझ जाता है । एक समाचार रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में होने जा रहे स्मार्ट क्लास में बीच-बीच में संगीत भी सुनाने का प्रस्ताव है। संगीत के जरिए पढ़ाई को आसान बनाने की कोशिश होगी।इसके लिए विद्यालयों में फुलप्रूफ साउंड सिस्टम लगाया जाएगा। संगीतमय प्रार्थना ,भजन एवं ध्यान के अलावा दिशा-निर्देश भी प्रसारित किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि विद्यार्थी संगीतमय वातावरण में सही ढंग से सीख पाता है । जहां भविष्य सुरक्षित एवं सुनिश्चित लगता है। तभी हम 'पढ़ेगा इंडिया,बढ़ेगा इंडिया' जैसे नारे को सिद्ध करने में सक्षम होंगे। इस तरह कह सकते हैं स्मार्ट क्लास की अवधारणा शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों को उनके सपनों को साकार करने में मददगार साबित होगा। #स्मार्ट क्लास को परिभाषित किया जाए तो कहना उचित होगा कि - क्लास तकनीकी डिवाइस से युक्त होना ,साथ-साथ साफ-सुथरी होने के अतिरिक्त स्केच युक्त बोर्ड सहित क्लास में बैठने के लिए सुंदर बेंच व हवा के लिये पंखे की व्यवस्था सुनिश्चित होती है, स्मार्ट क्लास कहलाता है।
#स्मार्ट क्लास की विशेषताएं/ महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित श्री मनोज गुप्ता अपने आलेख में लिखते हैं -
"जनमानस में फाइट हो ,लेकिन मुद्दा राइट हो,
मेरे घर के दीपक से सबके घर में लाइट हो,
हर बच्चा शाला में जाए उसका फ्यूचर ब्राइट हो,
जब भी कोई इंटरनेट खोलें, मेरी शाला (पाठशाला)की साइट हो, मेरी शाला की साइट हो ...."
इन पंक्तियों से शिक्षक श्री मनोज गुप्ता स्कूलों की डिजिटलाइजेशन पर बल देते हैं ताकि विद्यार्थी वैश्विक गतिविधियों से जुड़ सकें ।
2)शिक्षक स्मार्ट क्लास के जरिए विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से शिक्षण कर सकता है जिससे शिक्षण रोचक व ज्ञानवर्धक होगा।
3)स्मार्ट क्लास से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को डिजिटल मंच मिलता हैं ।शिक्षक विभिन्न एप्प जैसे "दीक्षा" पर उपलब्ध सामग्री शैक्षणिक सामग्री के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे ।जहाँ पठन-पाठन में अलग आनंद की अनुभूति होगी।
4)कक्षा में उपस्थित सभी विद्यार्थियों का डिजिटल डिटेल्स रखा जा सकता है । चाहे वो उपस्थिति और अनुपस्थिति का रिकॉर्ड हो या अन्य।
5) डिजिटल टूल्स की मदद से विद्यार्थियों को विषय- वस्तु को एनीमेशन ,एडिटिंग,चित्र ,वीडियो के जरिए आसानी से समझाया जा सकता है।
6) स्मार्ट क्लास से बस्ते का बोझ कम होगा- स्मार्ट क्लास के जरिए विद्यार्थियों के बस्ता से किताब और कोपियों का बोझ कम होगा। अधिकतर विषय वस्तु फिल्मों व एनिमेशन दृश्यों द्वारा पढ़ाया जाएगा ।
7) कंप्यूटर ना रहेगा अजूबा-स्मार्ट क्लास होने से विद्यार्थी सहित शिक्षक भी डिजिटल तकनीक से रू-ब-रू होते रहेंगे।कंप्यूटर की सुविधा होने से विद्यार्थी कंप्यूटर की शिक्षा भी ग्रहण करेंगे । विशेष तौर पर सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए कंप्यूटर की शिक्षा अजूबा नहीं रहेगी।
#स्मार्ट क्लास से जुड़ी समस्याएं-
1)हिंदी में शैक्षणिक सामग्री का अभाव -स्मार्ट क्लास के लिए हिंदी में सामग्री उपलब्ध नहीं होने से असुविधा होती है जिसके कारण हिंदी स्कूल के शिक्षकों का झुकाव इस ओर कम देखा जाता है जबकि अन्य अहिंदी भाषी राज्यों में सामग्री अंग्रेजी में अधिकतर होने से बच्चों को पढ़ाने में सहूलियत होती है ।
2)शिक्षकों को कंप्यूटर आधारित ज्ञान की कमी- शिक्षकों को कंप्यूटर आधारित ज्ञान की कमी भी स्मार्ट क्लास संचालन में बाधक है। इसलिए बी.एड. पाठ्यक्रम में कंप्यूटर शिक्षा को प्राथमिकता दिया जाने लगा है।
3)बिजली की समस्या:-स्मार्ट क्लास के संचालन में बिजली अनिवार्य होती है ।शहरी क्षेत्रों में बिजली उपलब्ध रहती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों के लिए विद्युत आपूर्ति बड़ी चुनौती है ।
#सामुदायिक सहभागिता:-
स्मार्ट क्लास की अधिकतर स्कूल महानगरों- दिल्ली मुंबई जैसे मेट्रो शहरों से शुरू हुई है लेकिन अब छोटे व मध्यम शहरों जैसे भोपाल, इंदौर, लखनऊ ,पटना में भी लोकप्रिय होने लगा है । एक अध्ययन के मुताबिक, स्मार्ट क्लास का कंसेप्ट 20% की रफ्तार से बढ़ रहा है।एडुकॉम्प , एवरौन, NIIT, कोर एजुकेशन , टाटा सर्विसेज जैसी कंपनियां इस कारोबार में उतर चुकी है। निजी स्कूल इस मामले में आगे है जबकि सरकारी स्कूल पीछे है। हालांकि कुछ राज्यों में स्मार्ट क्लास के लिए बजट आवंटित होने लगा है। निजी कंपनियों के CSR मद से भी व्यवस्था कराई जा सकती है। स्वयं सेवी संगठन ,ट्रस्ट, व्यापारिक संगठन ,औद्योगिक संगठन व गैर-सरकारी संस्थाएं भी स्कूल को गोद लेकर डिजिटल व्यवस्था दे सकती हैं ।अतः इसके लिए सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने की जरूरत है ।
निष्कर्ष:- आज की इस बदलते दौर में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ है। तकनीक ने पठन-पाठन की स्वरूप को बदल कर रख दिया है। इस डिजिटल तकनीक ने चित्र और वीडियो के जरिए शिक्षण पद्धति को रोचक और आसान बना दिया है। जो विद्यार्थी और शिक्षक दोनों को आकर्षित कर रहा है।
अतः स्मार्ट शिक्षा की अवधारणा वास्तव में 21 वीं सदी के छात्रों के लिए एक वरदान है। साथ ही मानव जीवन में हो रहा बदलाव का अच्छ संकेत भी।
प्रस्तुतकर्त्ता -मुकेश कुमार साह
बी.एड.-तृतीय छमाही
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